(भोजराज सिंह पवार बुधनी टाइम समाचार पत्र) शाजापुर में दस दिवसीय दस लक्षण पर्व के समापन पर स्थानीय जैन दिगंबर मंदिर सोमवारिया बाजार से प्रभु का अभिषेक करने के बाद रथ यात्रा निकाली। जो नगर के विभिन्न मार्ग नाग-नागिनी रोड, नई सड़क, चौक बाजार, छोटा चौक, सोमारिया बाजार होते हुए दिगंबर मंदिर पर समाप्त हुई। यहां प्रभु का अभिषेक के बाद परम माताजी ने प्रवचन के दौरान बताया कि जिस प्रकार नर का आभूषण रूप है रूप का आभूषण गुण है और गुण का आभूषण विनय है और विनय का आभूषण क्षमा है। जिसके मन में क्षमा का भाव आ गया उसका कल्याण निश्चित है। यदि क्षमा का भाव नहीं आया तो फिर भटकना जारी रहेगा। पपू माताजी ने प्रभु पारसनाथ के जीवन चरित्र का उदाहरण देते हुए प्रभु पारसनाथ के जीवन से क्षमा भाव की प्रेरणा लेने का उपदेश दिया। उन्होंने कहा कि प्रतिदिन हमारे द्वारा हुई भूलों के लिए हमें क्षमा याचना करना चाहिए क्योंकि संसार पानी का बुलबुला है। जीवन का कोई भरोसा नहीं कब इस अंतिम बेला आ जाए और हम दुर्भावपूर्ण भाव लेकर इस जग से विदा हो जाएं। ऐसी स्थिति में हमारा अगला भाव बिगड़ना तय है। इसलिए हर पल हर क्षण हर समय क्षमा भाव मन में रखते हुए अपने जीवन को प्रभु महावीर के अनुकरण के अनुसार बनाते हुए परम गति परम पद को प्राप्त करें।