(भोजराज सिंह पवार बुधनी टाइम समाचार पत्र) शाजापुर, 14 सितम्बर 2024/ संसार में जो चीज बढ़ती नहीं है। वह अपने आप घटने लगती है। आद्य शंकर ने संपूर्ण भारत की तीन बार परिक्रमा की। आपका आज जो भी नाम और जाति है वह होती नहीं, अगर कालड़ी का वह बच्चा घर से नहीं निकला होता। उससे पहले हम बहुत बंटे हुए थे। जैसा आज हो रहा है। देश की राजनीति समाज को बांट रही है। आजादी के अलग अलग समाजों को नाम देकर बांटने का काम शुरू किया गया। लड़ाई शुरू होते होते हमारे घरों में पहुंच गई है। अपने समाज को आगे ले जाने के लिए बहुत बड़ा काम करने की जरूरत नहीं होती। उसके लिए जरूरी है एक दूसरे को सींचना। इससे देश आगे बढ़ता है। एक दूसरे से ईर्ष्या करके हम पीछे हो जाते हैं जबकि एक होकर हम बहुत आगे जा सकते हैं। यह बात पूर्व संभागायुक्त व वरिष्ठ साहित्यकार राजीव शर्मा ने रविवार दोपहर हिंदी जागृति मंच की ओर से काला-पीपल में आयोजित गौरव सम्मान और व्याख्यान के आयोजन में अखंड भारत का शंकर मार्ग विषय पर संबोधित करते हुए कही। विशेष अतिथि क्षेत्रीय विधायक घनश्याम चंद्रवंशी, साहित्यकार हुकुम सिंह देश प्रेमी और अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य ओम प्रकाश शर्मा ने की। संचालन मंच के संस्थापक अध्यक्ष महेंद्र सिंह तोमर ने किया। आभार कैलाशनारायण परमार ने माना। अनिल शर्मा ने मंच की ओर से वर्ष भर होने वाली गतिविधियों के बारे में बताया। भोजन, भूषण और भाषा को बचाना जरूरी मुख्य वक्ता की आसंदी से संबोधित करते हुए श्री शर्मा ने हिंदी जागृति मंच की सराहना की। कहा कि हमारा भोजन, भूषण, भजन भीषण संकट में है। हम लोग एक अभूतपूर्व सांस्कृतिक प्रलय का हम सामना कर रहे हैं। मैं यह आग्रह करने आया हूं कि अपनी भाषा को बचाओ। जब कोई गुजराती, मराठी समेत देश के तमाम प्रांतों के लोग अपनी भाषा को बोलने में हिचकिचाहट नहीं रखते तो हम मालवी भाषा बोलने में क्यों शर्म करें। संस्कृति को बचाने के लिए नदियों, रीति-रिवाजों को बचाना जरूरी है। बच्चों का हुआ सम्मान, खिले चेहरे मंच के मीडिया प्रभारी संदीप गेहलोत ने बताया कि पिछले दिनों हिंदी पखवाड़े के तहत स्कूली बच्चों के लिए भाषा पर आधारित विभिन्न प्रतियोगिताओं में सहभागिता करने वाले बच्चों को प्रशस्ति पत्र के साथ सम्मानित किया गया। वहीं पहला और दूसरा स्थान हासिल करने वाले बच्चों का सम्मान भी हुआ। सम्मानित होकर बच्चों के चेहरे खिल उठे। इन बच्चों को पहला और दूसरा स्थान मिला स्वरचित कविता की श्रेणी में पलक परमार, जतिन मेवाड़ा, सुहाना शर्मा, मनीषा मेवाड़ा, दिशा सोनी और पायल मेवाड़ा ने प्रतियोगिता में जीत हासिल की। वहीं लोकगीत और लघुकथा श्रेणी में ऋषि शर्मा, ईशांत मेवाड़ा, अंकित परमार और रानी गुर्जर ने पहला और दूसरा स्थान प्राप्त किया। मालवी लोकगीतों की हुई शानदार प्रस्तुतियां आयोजित कार्यक्रम में क्षेत्र के सुप्रसिद्ध मालवी लोकगीत गायिका उर्मिला मेवाड़ा द्वारा मालवी लोकगीत की शानदार प्रस्तुति दी। वही कबीर पंथी भजन गायक धर्मदास कबीर पंथी और उनकी मंडली के द्वारा शानदार प्रस्तुतियां दी। इसके साथ ही सहारा पब्लिक स्कूल के संगीत शिक्षक तरुण जोशी, सुनील प्रजापति, ऋषि शर्मा, मोहित परमार और नुपूर लेले द्वारा सुमधुर मालवीय लोकगीतों की प्रस्तुति की गई। ईश्वर का रूप माता-पिता में होता है राजीव शर्मा ने अनुभव सुनाते हुए कहा, मैं जीवन भर नौकरी करने के दौरान जहां भी रहा वहां अपने परिवार को साथ रखा। उससे मुझे बहुत लाभ हुआ। यह किस्सा मैं इसलिए सुना रहा हूं क्योंकि हमने ईश्वर को साक्षात नहीं देखा। लेकिन वे हमारे घरों में रहते हैं। इसलिए पूर्वजों और बुजुर्गों का सम्मान करें। जब परिवार ही नहीं बचेगा तो संस्कृति, भाषा और सभ्यताओं को बचाकर क्या कर लेंगे। उन्होंने कहा, ईश्वर घास का तिनका भी बदसूरत नहीं बनाते। उनकी हर कृति खूबसूरत है। इसलिए रंग भेद करने से बचना चाहिए। सुंदरता व्यक्ति में नहीं, आंख और दृष्टि में होती है।संस्कृति को बचाने के लिए घर के लोगों को देशी बोली में बात करना चाहिए। त्रिभाषा फॉर्मूला को अपनाया जा सकता है। आप अपने गांव, खेत, कुल व परिवार को किसी से कम नहीं आंकना चाहिए। समाज में न्यायप्रियता और समरसता होना जरूरी है। समाज से ही शासन-प्रशासन और नेता बनकर सामने आते हैं। हम जैसा समाज चाहते हैं, वैसे रहें।