संपादक भोजराज सिंह पंवार शुजालपुर शाजापुर, 20 जनवरी 2024/ देश के विभिन्न हिस्सों स्थानों में बोरवेल आदि के गढ्ढों में बच्चों के गिरने की घटनाएं लगातार प्रकाश में आने तथा पुराने कुंओं/बावड़ियों के ढहने से गंभीर दुर्घटनाएं होने तथा इन घटनाओं से लोक शांति भंग होने की आशंका बनी रहती है। इसे देखते हुए जिला दण्डाधिकारी एवं कलेक्टर सुश्री ऋजु बाफना द्वारा जनहित में भारतीय दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 144 के अंतर्गत प्रतिबंधात्मक आदेश जारी किये गये हैं। प्रतिबंधात्मक आदेश के अनुसार कोई भी व्यक्ति या संस्थाएं अथवा शासकीय विभाग, नलकूप, बोरवेल आदि का गढ्ढा खोदने के पूर्व इसकी लिखित सूचना संबंधित तहसीलदार या नायब तहसीलदार को देकर उसकी पावती प्राप्त करेंगे एवं यह सुनिश्चित करेंगे कि खोदे गये गढ्ढे को सुरक्षित रूप से ढका गया है तथा इस बात की भी व्यवस्था की गई है कि इन गढ़डों के पास बच्चे आदि न जायें। इसकी मॉनिटरिंग भी संबंधित तहसीलदार या नायब तहसीलदार करेगें। यदि किसी व्यक्ति या संस्थाओं अथवा शासकीय विभाग द्वारा उपरोक्त संबंध में नलकूप, बोरवेल, कुऑ आदि का गढ्ढा खोदा गया हो और वह खुला हो तो उसे तत्काल समुचित रूप से बंद कराने की जिम्मेदारी संबंधित व्यक्ति या संस्थाओं अथवा शासकीय विभाग की होगी। संबंधित के द्वारा मौके पर यह व्यवस्था भी सुनिश्चित की जाये कि उक्त संरचनाओ के पास बच्चे आदि न पहुँच सके। समस्त तहसीलदार एवं नायब तहसीलदार एवं संबंधित मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत जाँच उपरांत यह भी सुनिश्चित करेंगे कि उनके क्षेत्रांतर्गत कोई भी कुंआ बिना मुंडेर का न हों तथा जो कुंए पुराने हैं, उनकी मुंडेर आदि पक्की हो तथा किसी प्रकार की दुर्घटनाओं की आशंका न हो। सामान्यतः बावडियां अत्यधिक पुरानी होती हैं, जिनकी छत आदि कमजोर होती है। अतः यह सुनिश्चित किया जाये कि ऐसी बावड़ियों को समुचित रूप से जनसामान्य के प्रवेश हेतु प्रतिबंधित किया जाये एवं सुरक्षा हेतु बाउन्ड्रीवाल अनिवार्य रूप से बनवाई जाये। समस्त तहसीलदार, नायब तहसीलदार, संबंधित मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत तत्काल संबंधित पटवारियों एवं ग्राम सचिव से यह प्रमाणपत्र प्राप्त करें कि सम्बंधित ग्रामों में किसी भी भूमि पर बोरवेल या अन्य प्रकार के खतरनाक गढ्ढे खुले रूप में नहीं है। यदि किसी भूमि पर इस प्रकार के बोरवेल, कुंओं, बावडियों के गढ्ढे हों तो तहसीलदार या नायब तहसीलदार उसके भूमिस्वामी को तत्काल नोटिस जारी कर उन्हे समुचित रूप से बंद करायें। एक सप्ताह के भीतर यह सुनिश्चित कराएं कि जिले में किसी भी स्थान पर उपरोक्तानुसार गढ्ढे खुले रूप में न हों। एक सप्ताह के पश्चात यदि किसी भूमि पर उपरोक्तानुसार गढ्ढे खुले रूप में पाए जायें तो सम्बंधित के विरूद्ध आपराधिक कार्यवाही हेतु प्रकरण सक्षम न्यायालय में प्रस्तुत करने हेतु प्रतिवेदन संबंधित अनुविभागीय दण्डाधिकारी के समक्ष प्रस्तुत किया जाये। क्षेत्र में स्थित कुओं, बावड़ियों, बोरवेल्स की जाँच कर यह सुनिश्चित करें कि वह जनसामान्य के लिए सुरक्षित है तथा उससे किसी प्रकार की दुर्घटना की आशंका नहीं है। यदि ऐसी कोई आशंका हो तो उसके स्वामी या विभाग को तत्काल आवश्यक मरम्मत आदि करने हेतु लिखित रूप में सूचित किया जाये। यदि किसी व्यक्ति द्वारा आदेश का उल्लंघन किया जायेगा तो वह भारताय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 188 के अंतर्गत दण्ड का भागी होगा। चूंकि यह आदेश लोक सुरक्षा को दृष्टिगत रखते हुए जारी किया जा रहा है व किसी व्यक्ति को व्यक्तिगत रूप से सुनवाई का अवसर देना संभव नहीं है। अतः दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 144 (2) के अंतर्गत समयाभाव के कारण एकपक्षीय रूप से जारी किया गया है।