संपादक भोजराज सिंह पंवार-- शाजापुर में बुधवार आधी रात को कंस का वध किया गया। इससे पहले चल समारोह निकाला गया। फिर श्रीकृष्ण और कंस की सेना के बीच वाक युद्ध हुआ। श्रीकृष्ण और कंस के सैनिकों ने एक-दूसरे पर तीखे व्यंग्य किए। कंस वध के बाद गवली समाज के लोग पुतले को लाठी-डंडों से पीटते और घसीटते हुए नई सड़क की ओर ले गए। कंस वधोत्सव समिति के संयोजक तुलसीराम भावसार का दावा है कि मथुरा के बाद यह आयोजन सिर्फ शाजापुर में ही वृहद स्तर पर होता है। इसकी तैयारी दीपावली के बाद से शुरू कर दी जाती है। यह परंपरा 270 सालों से चली आ रही है। कंस वधोत्सव से पहले निकाले गए चल समारोह में कंस और राक्षस ने अट्टहास किया। राजनीति पर भी व्यंग्य करते हैं कलाकार बुधवार को शाम होते ही शहर में राक्षसों का अट्टहास गूंजने लगा। वहीं, भगवान श्रीकृष्ण की सेना ने शब्दों के बाण चलाए। खास बात यह है कि इस युद्ध में खून की नदियां नहीं बहती, बल्कि ठहाके लगते हैं। संवादों में स्थानीय जनप्रतिनिधियों और राजनीति पर भी व्यंग्य होते हैं। 3 दिसंबर को आने वाले विधानसभा चुनाव के परिणामों को भी संवाद में शामिल किया गया। देव और दानवों के इस अनूठे वाक युद्ध को देखने-सुनने के लिए बड़ी संख्या में लोग डटे रहे। भगवान श्रीकृष्ण ने रात ठीक 12 बजे कंस का वध किया। बाल कृष्ण और मामा कंस के बीच ये संवाद हुआ कृष्ण- अरे मामा... ग्वालों के पीछे कितने ही लगा दिया जाए जोर, किंतु तुझसे ना मारा जाएगा ये माखन चोर। कंस- अरे कन्हैया... अब तक तो सोया था मखमल के गदेलों पर... पल भर में तुझे कर दूंगा मिट्टी के ढेलों पर। कृष्ण- अरे ओ मामा... हम काल पुरुष हैं, शत्रुंजयी हैं, काल हमारे हाथों में, अंत तेरा आ गया है अब मत उलझा बातों में। कंस- अरे कान्हा... जब हम हमला करेंगे तो सितारे टूट जाएंगे जमीन पर जलजला होगा... रहेगा नाम सिर्फ 'चाणूर' का बाकी सब फना होगा। कृष्ण- अरे मामाजी... मनमोहन नाम है मेरा, चितचोर भी कहलाता हूं, तलवारों की बातें करते हो, मैं नजर से मार गिराता हूं। कंस वध के बाद गवली समाज के लोगों ने पुतले पर लठ बरसाए।