भोजराज सिंह पंवार--- उज्जैन 05 जून। सोमवार को मध्य प्रदेश के राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल की अध्यक्षता में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के क्रियान्वयन पर संगोष्ठी एवं तीन दिवसीय राष्ट्रीय शैक्षिक कार्यशाला का समापन कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। यह कार्यक्रम मध्य प्रदेश शासन के उच्च शिक्षा विभाग, विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन, मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय भोपाल व शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मध्य प्रदेश शासन के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ मोहन यादव थे। कार्यक्रम में अतिथियों के द्वारा मां सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित कर समापन समारोह का शुभारम्भ किया गया। इसके पश्चात सरस्वती वन्दना की गई। विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.अखिलेश कुमार पांडे और मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.संजय तिवारी ने शाल और स्मृति चिन्ह भेंटकर राज्यपाल और उच्च शिक्षा मंत्री का स्वागत किया। राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने इस अवसर पर कहा कि भगवान महाकालेश्वर की नगरी में आयोजित कार्यशाला में शामिल होकर उन्हें अत्यन्त प्रसन्नता हो रही है। निश्चित रूप से भगवान महाकालेश्वर के मन्दिर के समीप आयोजित संगोष्ठी में कई नये विचार और सुझाव प्राप्त हुए होंगे। नई शिक्षा नीति को आगे ले जाने के लिये यहां आयोजित संगोष्ठी में प्राप्त विचार और सुझाव अत्यन्त महत्वपूर्ण भूमिका निभायेंगे। राज्यपाल श्री पटेल ने कहा कि प्राचीन भारत में भारतीय ज्ञान एवं परम्परा पर आधारित शिक्षा व्यवस्था थी। उस समय नालन्दा और तक्षशिला शिक्षा के केन्द्र थे। विदेश से भी छात्र इन शिक्षा केन्द्रों में अध्ययन के लिये आते थे। राज्यपाल श्री पटेल ने कहा कि हमें शिक्षा को भविष्य की चुनौतियों एवं अवसरों के अनुरूप बनाना होगा। राष्ट्रीय शिक्षा नीति का उपयोग राष्ट्र सेवकों के निर्माण में करना होगा। उन्होंने कहा कि बहुत-से परिवारों में माता-पिता की इच्छा होती है कि उनके बच्चे विदेश में जाकर शिक्षा ग्रहण करें। किसी भी देश को आगे ले जाने में वहां की शिक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। रोजगार परिदृश्य के अनुसार अच्छी और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जाना बेहद जरूरी है। छात्र-छात्राओं में वैज्ञानिक सोच और दृष्टिकोण का भी विकसित किया जाना बेहद जरूरी है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारत को ‘विश्वगुरू’ बनाने में महत्वपूर्ण योगदान देगी। हमारे शिक्षकों और प्राध्यापकों को खुली विचारधारा के साथ कार्य करना होगा। भविष्य की पीढ़ियों को तैयार करने का कार्य राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत किया जाना है। इसमें विश्वविद्यालयों के कुलपति और व्याख्याताओं को महत्वपूर्ण योगदान देना होगा। हमें अपने बच्चों को विदेश में पढ़ाने का मोह त्यागना होगा। साथ ही इस तीन दिवसीय संगोष्ठी में आये अच्छे और महत्वपूर्ण सुझावों को शिक्षा नीति को बेहतर बनाने में शामिल करना होगा। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ.मोहन यादव ने इस अवसर पर कहा कि मध्य प्रदेश शासन का उच्च शिक्षा विभाग द्वारा शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में निरन्तर नवाचार किये जा रहे हैं। हम सबके लिये अत्यन्त हर्ष का विषय है कि उज्जैन नगरी में तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया है। प्रदेश के आगे बढ़ाने के लिये प्राचीनकाल से जुड़ी शिक्षाओं को हमें पाठ्यक्रम में जोड़ना होगा। मंत्री डॉ.यादव ने कार्यशाला के सफल आयोजन पर सभी को अपनी ओर से बधाई दी। मध्य प्रदेश हिन्दी ग्रंथ अकादमी के संचालक श्री अशोक कड़ेल ने शिक्षा कार्यशाला की प्रस्तावना और उद्देश्य के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि इसके पूर्व वर्ष 2011 में राष्ट्रीय शैक्षिक कार्यशाला का आयोजन किया गया था। वर्ष 2023 में आयोजित कार्यशाला में देश के 35 प्रान्तों से 400 प्रतिभागी सम्मिलित हुए हैं। इस तीन दिवसीय कार्यशाला में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के मध्य प्रदेश में क्रियान्वयन पर संगोष्ठी की गई और आवश्यक सुझाव प्राप्त किये गये। राष्ट्रीय सचिव शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास नई दिल्ली श्री अतुल कोठारी ने इस अवसर पर व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि यदि हमें देश को बदलना है तो शिक्षा को बदलना होगा। भारतीयता को केन्द्र में रखकर शिक्षा का स्वरूप होना चाहिये। शिक्षा, संस्कृति उत्थान न्यास के द्वारा भारतीय संस्कृति और सभ्यता को ध्यान में रखते हुए शिक्षा नीति को बेहतर बनाने के लिये आवश्यक सुझाव और विचारों को व्यक्त करने हेतु एक मंच प्रदान किया गया है। शिक्षा परिवर्तन बिना मातृभाषा को ध्यान में रखकर पूरा नहीं किया जा सकता। मध्य प्रदेश में मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई हिन्दी में हो रही है, यह प्रशंसनीय है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति आत्मनिर्भर भारत निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान देगी। विद्यार्थियों को आत्मनिर्भर बनाने का कार्य हमारे देश की शैक्षणिक संस्थाओं का है। इसके लिये सैद्धान्तिक ज्ञान के साथ-साथ व्यावहारिक ज्ञान का होना भी परम आवश्यक है। प्रदेश के झाबुआ को राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन का आदर्श क्षेत्र बनाया जायेगा। राष्ट्रीय शिक्षा नीति विद्यार्थियों की नींव निर्माण का कार्य कर रही है। जन-जागरण करते हुए देश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करना है। कार्यक्रम का संचालन विक्रम विश्वविद्यालय के कुल सचिव डॉ.प्रशांत पुराणिक ने किया और आभार प्रदर्शन मध्य क्षेत्र सहसंयोजक शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास नई दिल्ली के श्री ओमप्रकाश शर्मा ने किया। इस अवसर पर महर्षि पाणिनी संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ.विजय कुमार सीजी, देवी अहिल्या विश्वविद्यालय की कुलपति श्रीमती रेणु जैन, कलेक्टर श्री कुमार पुरुषोत्तम, पुलिस अधीक्षक श्री सचिन शर्मा एवं अन्य गणमान्य नागरिक मौजूद थे।