बुधनी टाइम समाचार पत्र शुजालपुर,,,,,, इस अवसर पर प्राचार्य डॉ. देवड़ा ने बाबा साहब डॉ. अंबेडकर को संपूर्ण समाज का प्रणेता बताया। उन्होंने कहा कि वह किसी एक वर्ग विशेष के नहीं थे उन्होंने हर समाज के कमजोर वर्ग के लिए संविधान में व्यवस्था की और उसी व्यवस्था के तहत आज तक समाज विकास कर रहा है। इसके उपरांत डॉ यूएस बघेल ने बाबा साहब के जीवन पर प्रकाश डाला और उनकी शैक्षणिक उपलब्धियों को बताया। महाविद्यालय के प्रशासनिक अधिकारी डॉ जीएस चौहान ने बाबा साहब के विषय में बताते हुए कहा कि बाबा साहब ने संविधान की प्रस्तावना को संविधान की आत्मा क्यों कहा है ? इसके विषय में विस्तार से अपने संबोधन में बताया। शिक्षा शेरनी का वह दूध है जो पिएगा वह दहाड़ेगा मुख्य वक्ता प्रो. चंद्रभान त्रिवेदी ने डॉ. बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के विषय में बताने के पूर्व सबसे पहले बाबा साहब के कोटेशन ‘‘शिक्षा शेरनी का वह दूध है जो पिएगा वह दहाड़ेगा‘‘ से अपनी बात की शुरुआत की और बाबा साहब द्वारा भारतीय समाज में स्त्रियों की दशा को सुधारने के लिए किए गए कार्यों का विवरण दिया। जिसमें बाबा साहब द्वारा हिंदू कोड बिल द्वारा स्त्रियों को एक समान शिक्षा शिक्षा एवं समानता और अधिकार दिया गया। इसके साथ ही संविधान के आर्टिकल 12 से लेकर 16 तक में महिलाओं के लिए विशेष प्रावधान किए गए जिसके तहत आज समाज में पुरुषों के साथ-साथ महिलाएं भी सम्मान पूर्वक हर क्षेत्र में कंधे से कंधा मिलाकर कार्य कर रही हैं। संविधान लागू होने के पूर्व की स्थिति और वर्तमान की स्थिति की ओर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि पूर्व में हमारी पाश्चात्य संस्कृति और सभ्यता में महिलाओं को घर से बाहर नहीं निकलने दिया जाता था और आज बाबा साहब की देन है की महिलाएं स्वतंत्र रूप से कारखानों से लेकर अंतरिक्ष तक अपनी उपलब्धि का बखान कर रही है। भारतीय संविधान की देन है कि एक दलित महिला और दूसरी भारत की राष्ट्रपति संविधान के तहत ही निर्वाचित की गई यह बाबा साहब की देन है कि हर क्षेत्र में महिलाएं अपना योगदान दे रही हैं। यही कारण है कि संपूर्ण विश्व में बाबा साहब नॉलेज ऑफ सिंबल के रूप में जाना जाता है। विश्व के कई देशों द्वारा अपने शैक्षणिक संस्थानों में बाबा साहब की मूर्तियां स्थापित करके वहां पर भी बाबा साहब के योगदान का वर्णन अपनी शैक्षणिक सामग्रियों के अंदर किया जा रहा है। इस अवसर पर डॉ. डीएस बामनिया और डॉ जितेंद्र कुमार कामले द्वारा भी बाबा साहब के जीवन पर अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम का संचालन कर रहे डॉ. गिरीश शिव ने बाबा साहब के विषय में बताया कि उन्होंने अपने संपूर्ण जीवन काल में 36 डिग्रियां प्राप्त की थी। जिसमें 4 पीएचडी थी और बाबा साहब को 9 भाषाओं का ज्ञान था उसी के बदौलत बाबा साहब द्वारा विश्व के अनेकों देशों से वहां के प्रमुख प्रावधानों को लाकर भारतीय संविधान में स्थान दिया। आभार प्रो. मनोज भार्वे ने माना। इस अवसर पर महाविद्यालय के सम्पूर्ण अधिकारी और कर्मचारी स्टाफ उपस्थित रहा।