बुधनी टाइम समाचार पत्र शुजालपुर,,,, जिले में एक लाख हेक्टेयर में बांस खेती की जाने की योजना है। “एक जिला एक उत्पाद योजना” के तहत देवास जिले में कृषि क्षेत्र अंतर्गत बांस रोपण का रकबा बढ़ाने हेतु जन जागरूकता शिविरों का आयोजन किया जाना है। इस संबंध में कलेक्टर श्री ऋषव गुप्ता ने आगामी माह में बांस उत्पादन के संबंध में विकासखंड स्तरीय जनजगारूकता शिविरों का करने के निर्देश अनुविभागीय अधिकारी राजस्व एवं अन्य संबंधित अधिकारियों को दिए हैं। जिले में 6 अप्रैल से 13 अप्रैल तक विभिन्न विकासखंडों में होंगे शिविर आयोजित कलेक्टर श्री गुप्ता ने निर्देश दिए कि जिले में बांस का रकबा बढ़ाने के लिए विकासखंड स्तरीय शिविरों का आयोजन किया जाएगा। इसके लिए अनुविभागीय अधिकारियों को नोडल अधिकारी बनाया है तथा सहयोगी विभाग के तौर पर वन विभाग (क्षेत्रीय), वन विभाग (सामाजिक वानिकी), कृषि विभाग, पंचायत एवं ग्रामीण विभाग, उद्यानिकी विभाग, आदिम जाति कल्याण विभाग, जनजाति कार्य विभाग मिलकर कार्य करें। उन्होंने बताया कि जिले में दिनांक 06 अप्रैल को बागली एवं कन्नौद जनपद पंचायत में, 12 अप्रैल को देवास एवं टोंकखुर्द जनपद पंचायत में तथा 13 अप्रैल को सोनकच्छ एवं खातेगांव जनपद पंचायत में जागरूकता शिविरों का आयोजन किया जाएगा। बांस रोपण के लिए अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार करें कलेक्टर श्री गुप्ता ने कहा कि बड़े कृषकों की पड़त भूमि पर बांस रोपण हेतु प्रचार-प्रसार करें तथा बांस मिशन अंतर्गत बांस रोपण योजना का भी प्रचार-प्रसार करें। स्व सहायता समूहों के माध्यम से बांस रोपण करें एवं बांस उत्पादक कृषकों व बांस उद्यमियों से चर्चा करें। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि बाँस रोपण में कृषकों को आ रही कठिनायों पर चर्चा एवं निवारण हेतु रणनीति बनाकर निर्धारण करें। सामाजिक वानिकी अंतर्गत बांस पौधों की न्यूनतम दरों पर उपलब्धता हेतु रणनीति बनाए। सी. एस. आर. फंड से बांस रोपण की संभावना पर चर्चा करें। देवास में बांस की मांग एवं आपूर्ति उद्यानिकी विभाग, कृषि विभाग बांस की मांग पर चर्चा। उन्होंने कहा कि बड़े कृषकों को सूची- राजस्व विभाग तैयार करें एवं एफ. आर. ए. अंतर्गत प्रदाय वन भूमि की मेड़ों पर बांस रोपण करवाएं। प्रत्येक पंचायत अंतर्गत बांस वाटिका का निर्माण भी करें। उन्होंने कहा कि इसमें सम्मिलित विभाग वन विभाग (क्षेत्रीय), वन विभाग (सामाजिक वानिकी), कृषि विभाग, पंचायत एवं ग्रामीण विभाग, उद्यानिकी विभाग, आदिम जाति कल्याण विभाग, जनजाति कार्य विभाग मिलकर कार्य करें।