ग्वालियर-चंबल अब अंबेडकर बनाम बीएन राव हो रहा है। क्योंकि एक वर्ग अंबेडकर की मूर्ति लगाने के पक्ष में खड़ा हुआ है, दूसरा विरोध करने के बाद, सर बीएन राव की मूर्ति हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच लगाना चाहता है।मध्य प्रदेश का ग्वालियर-चंबल फिर जातिगत विवाद में सुलग रहा है। साल 2018 में इसी तरह के SC-ST और सवर्ण आंदोलन में सात में लोगों की मौत हो गई थी। अब वैसी ही स्थिति ग्वालियर-चंबल में बन रही है, जहां दोनों वर्ग एक दूसरे को ललकार रहे हैं और सोशल मीडिया पर लगातार ग्वालियर पहुंचने की अपील की जा रही है, वहीं ग्वालियर पुलिस ने भी इस आंदोलन से निपटने के लिए पूरी तैयारी कर ली है। ग्वालियर-चंबल अब अंबेडकर बनाम बीएन राव हो रहा है। क्योंकि एक वर्ग अंबेडकर की मूर्ति लगाने के पक्ष में खड़ा हुआ है, दूसरा विरोध करने के बाद, सर बीएन राव की मूर्ति हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच लगाना चाहता है। हालांकि अंबेडकर की मूर्ति लगाने की पहली कोशिश 15 मई को हुई थी, लेकिन सवर्ण पक्ष के विरोध के बाद मूर्ति स्थापित नहीं हो सकी। इसको लेकर दलित समाज आंदोलन कर रहा है तो वहीं सवर्ण पक्ष का रक्षक मोर्चा अब सर बीएन की मूर्ति लगवाना चाहता है। इसके लिए वो एक पार्क में बकायदा भूमिपूजन कर चुका है। वहीं कुछ दिन पहले हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष अनिल मिश्रा के बयान के बाद से माहौल गर्माया गया है। अनिल मिश्रा के साथ रक्षक मोर्चा भी खड़ा हो गया है। सियासी बयानबाजी का दौर शुरू अनिल मिश्रा के बाद, ग्वालियर-चंबल संभाग में विरोध का दौर शुरू हो गया है। हर जिले के एसपी ऑफिस में दलित संगठन प्रदर्शन कर रहे हैं, ज्ञापन दे रहे और उन्हें गिरफ्तार करने की चेतावनी दे रहे हैं। वहीं, कांग्रेस के विधायक और बड़े दलित नेता फूलसिंह बरैया ने कहा है कि जो काम बीजेपी और RSS नहीं कर पा रही थी, वो अनिल मिश्रा जैसे वकीलों से करवा रही है। क्योंकि आप एक बार अंबेडकर को गाली दोगे चल जाएगा, दस बार गाली दे रहे हो, बार- बार गाली दे रहे हो, हिंसा जैसा माहौल बना रहे हो। अगर यह विवाद यही नहीं थमा तो आगे बड़ी हिंसा हो सकती है। बीजेपी के अनुसूचित जाति के राष्ट्रीय अध्यक्ष लाल सिंह आर्य का कहना है कि महापुरुष हम सबके हैं। अंबेडकर जैसे महापुरुष हमारी धरोहर है, संविधान बाबा साहेब अंबेडकर ने लिखा है, उसमें 296 लोग थे। हिंदू-मुस्लिम, दलित, आदिवासी भी थे, लेकिन कुछ लोग हैं, जो भारत को कमजोर करना चाहते हैं, हमें उनसे बचना होगा। क्योंकि ग्वालियर शांति वाला शहर है, इसे शांत ही रहना होगा।