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भोजराज सिंह पंवार
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प्रसव के बाद सास से ज्यादा मां की देखभाल होती है बेहतर

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देशी-विदेशी तीन संस्थाओं की रिसर्च रिपोर्ट में दावा किया गया है कि बच्चे को जन्म देने के बाद अपनी मां की जगह सास की देखरेख में रहनेवाली बहुओं के स्वस्थ होने की संभावना 16 प्रतिशत तक कम रहती है। एक रिसर्च रिपोर्ट में दावा किया गया है कि बच्चे को जन्म देने के बाद सास की देखरेख में रहने वाली बहुओं के स्वस्थ होने की संभावना 16% तक कम होती है। अध्ययन में यह भी पाया गया कि एक तिहाई प्रसूताओं को अपने या शिशु के बारे में निर्णय लेने की स्वतंत्रता नहीं मिलती है। दो तिहाई महिलाओं पर फैसले थोपे जाते हैं।रिपोर्ट में ये भी पाया गया कि एक तिहाई प्रसूताओं को अपने या शिशु के बारे में निर्णय लेने की छूट नहीं मिलती। अमेरिका की कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी, योसएड इनोवेशन फाउंडेशन और भारत की नूरा हेल्थ के संयुक्त अध्ययन की रिपोर्ट पीएलओएस वन जर्नल में प्रकाशित की गई है।दो तिहाई महिलाओं पर फैसला थोपा गया सितंबर 2018 से मई 2020 के बीच चार राज्यों के 28 जिलों में बच्चों को जन्म देनेवाली 18,436 महिलाओं से बातचीत की गई, लेकिन प्रसव के महीनेभर बाद 551 प्रसूता व तीमारदार के जोड़े के डाटा का विश्लेषण करके रिपोर्ट तैयार की गई। अध्ययन में एक तिहाई मामले में नई मांओं ने स्वीकार किया शिशु की देखभाल और अपने बारे में निर्णय लेने में उनकी भी राय ली गई। दो तिहाई महिलाओं पर निर्णय थोपा गया। प्रसव के बाद नवजात और नई मां की देखरेख कैसे होगी, इसके बारे में 70 प्रतिशत मामलों में प्रसूता ने खुद निर्णय लिया या बच्चे के पिता, दादी या नानी ने मां-बच्चे के लिए निर्णय लिया। शोध में ये भी पाया गया कि नई मां ने किसी तीमारदार को एकमात्र निर्णयकर्ता के रूप में नामित कर दिया, जो मां-बच्चे का खयाल रखेगा। निर्णय लेनेवालों की बंटी हुई जिम्मेदारी दल ने ये भी पाया कि नई माताओं के घरेलू फैसलों में शामिल होने की दर भी काफी कम पाई गई और एक तिहाई महिलाओं ने कहा कि शिशु और उनकी देखभाल में वे फैसला नहीं ले सकती हैं। इसमें बताया गया कि इस रिपोर्ट से ये समझने में आसानी होगी कि भारत में प्रसव के बाद महिलाओं के स्वास्थ्य लाभ पर तीमारदारों की वजह से कितना असर पड़ता है। रिपोर्ट में ये भी सामने आया कि परिवारों में देखभाल और निर्णय लेनेवालों की जिम्मेदारी बंटी हुई

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