अकोदिया में पांच दिवसीय दीपोत्सव के पहले गुरु पुष्य नक्षत्र से खरीदी का विशेष मुहूर्त प्रारंभ हो रहा है। गुरुवार को पुष्य नक्षत्र आने से पर्व का और अधिक महत्व बढ़ गया है। माना जाता है कि गुरु पुष्य नक्षत्र में खरीदी गई। वस्तु लंबे समय तक उपयोगी रहती है। साथ ही यह स्थायी लाभ देने वाली रहती है। पंडित और ज्योतिषाचार्य गिरजेश चतुर्वेदी ने बताया कि तो हर महीने पुष्य नक्षत्र आता है। हालांकि, कार्तिक में आने वाले पुष्य नक्षत्र का महत्व अलग होता है। उसमें भी गुरु पुष्य नक्षत्र शुभ संयोग के साथ ही सर्वार्थ सिद्धि का योग लेकर आता है। उन्होंने बताया 24 अक्टूबर गुरु पुष्य नक्षत्र सुबह 6.35 बजे से शुरू होगा। इसकी समाप्ति 25 अक्टूबर को सुबह 7.35 बजे होगी। दीपावली से 7 दिन पहले गुरुवार 24 अक्टूबर को देवी महालक्ष्मी की पूजा का दिन पुष्य नक्षत्र 25 घंटे का होगा। पुष्य नक्षत्र में दिनभर रहने वाले सिद्ध और साध्य योग में सोना-चांदी, भूमि-निर्माण, बहीखाता सहित सभी प्रकार की चल-अचल संपत्ति की खरीदारी फलदायी होगी। इसके साथ ही महासंयोग में वाहन, मकान, दुकान, कपड़े, सोना-चांदी और बर्तन की खरीदी-बिक्री की जा सकती है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, पुष्य नक्षत्र सभी नक्षत्रों में सबसे अच्छा माना जाता है। इसे शास्त्रों में अमरेज्य भी कहा गया है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा का विशेष महत्व है। दीपावली से पहले भगवान श्रीराम ने पुष्य नक्षत्र में ही राज्य ग्रहण किया था। अर्जुन ने कौरव सेना को परास्त किया था। पंडितों के अनुसार, 8वें नक्षत्र पुष्य को सभी नक्षत्रों में खास माना जाता है। गुरु पुष्य योग में माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व है। गुरुवार या रविवार को आने वाला पुष्य नक्षत्र श्रेष्ठ माना जाता है। यह नक्षत्रों का राजा है और इसके स्वामी गुरु हैं, जो शुभ के कारक हैं। ऋग्वेद में इसे मंगलकर्ता, वृद्धिकर्ता, आनंदकर्ता और शुभ माना गया है। खरीदारी और प्रॉपर्टी में निवेश लंबे समय तक लाभदायक होगा।