गाल की खाड़ी में लो प्रेशर एरिया (निम्न दाब क्षेत्र) के एक्टिव होने से मध्यप्रदेश में 16-17 सितंबर से फिर बारिश का स्ट्रॉन्ग सिस्टम एक्टिव होगा। इससे पहले प्रदेश में 2 दिन तेज बारिश का दौर थमा रहेगा। मानसून की ओवरऑल तस्वीर पर नजर डालें तो भोपाल, ग्वालियर समेत 35 जिलों में बारिश का कोटा फुल हो चुका है। यहां 100 से 195% तक पानी गिर चुका है। एमपी में अब तक औसत 40.4 इंच बारिश हो चुकी है। बारिश के मामले में श्योपुर सबसे अव्वल है। यहां सामान्य की दोगुनी यानी, 195% तक बारिश हो चुकी है। यदि सबसे ज्यादा पानी बरसने वालों की बात करें तो मंडला पहले नंबर पर है। यहां अब तक 55.6 इंच पानी बरस चुका है। 4 जिले- सीहोर, छतरपुर, शाजापुर और शहडोल ऐसे हैं, जहां 96 से 100% तक पानी गिरा है। यह कैटेगिरी सामान्य बारिश के दायरे में आती है। हालांकि, बारिश की एक-दो तेज झड़ी लगते ही इनमें भी 100% या इससे अधिक बारिश हो जाएगी। एमपी के पूर्वी हिस्से में होगी तेज बारिश बारिश के मामले में अभी रीवा जिला सबसे पीछे है। यहां सामान्य की 61.47% यानी, 24 इंच पानी ही गिरा है। हालांकि, 16-17 सितंबर से जो सिस्टम हो रहा है। मौसम विभाग (IMD) की माने तो 2-3 दिन बाद पूर्वी हिस्से में तेज बारिश होने का अनुमान है। ऐसे में जो जिले पीछे चल रहे हैं, वे भी आगे निकल सकते हैं। आज धूप-छांव, हल्की बारिश वाला मौसम मौसम विभाग के अनुसार- शनिवार को भोपाल, नीमच, मंदसौर, रतलाम, आगर-मालवा, उज्जैन, राजगढ़, अशोकनगर, बुरहानपुर, बैतूल में तेज धूप खिलेगी। वहीं, ग्वालियर, इंदौर, जबलपुर समेत अन्य जिलों में हल्की बारिश और गरज-चमक की स्थिति रह सकती है। 15 सितंबर को भी यही स्थिति बनी रह सकती है। मौसम वैज्ञानिक वीएस यादव ने बताया, मौजूदा सिस्टम उत्तरप्रदेश की ओर बढ़ गया है। दो दिन की राहत के बाद 16-17 सितंबर से फिर भारी बारिश का दौर शुरू होगा। 3 दिन स्ट्रॉन्ग रहा सिस्टम, कई जिलों में बाढ़ इससे पहले प्रदेश में 3 दिन बारिश का स्ट्रॉन्ग सिस्टम एक्टिव रहा। इस वजह से प्रदेश के ग्वालियर समेत 15 जिले बाढ़ की चपेट में रहे। ग्वालियर का डबरा कस्बा और सेकरा गांव बाढ़ से घिर गया। प्रशासन ने बाढ़ में फंसे 400 से ज्यादा लोगों को रेस्क्यू कर बाहर निकाला। ग्वालियर में भी जलभराव हो गया। जबलपुर में डुमना एयरपोर्ट की दीवार का 25 फीट हिस्सा बारिश के चलते ढह गया। टीकमगढ़ में भी लोग नदी में फंसे रहे। दतिया में 400 साल पुरानी किले की दीवार ढहने से 7 लोगों की मौत हो गई। भिंड, नर्मदापुरम, पन्ना समेत कई जिलों में यह स्थिति देखने को मिली। जबलपुर में लगातार 3 दिन तक बारिश के कारण शुक्रवार को ऑर्डिनेंस फैक्ट्री में पांच फीट तक पानी भर गया। फैक्ट्री के चार सेक्शन में मशीनें डूब गई। एक सेक्शन में 15 दिन के लिए काम बंद कर दिया गया। मुरैना के कैलारस में रपटा पार कर रही ट्रैक्टर-ट्रॉली बह गई। इसमें ड्राइवर तैरकर बाहर निकल गया। दो लोग लापता हैं। मुरैना से पहुंची एसडीईआरएफ की टीम रेस्क्यू में जुटी रही। भिंड में सिंध नदी खतरे के निशान से तीन मीटर ऊपर बही। मेहगांव क्षेत्र के तीन गांवों को खाली करा लिया गया। करीब 500 लोगों को पंचायत भवन और स्कूल में ठहराया गया। 47 गांवों में अलर्ट जारी किया है। नर्मदापुरम से SDERF की 20 सदस्यीय टीम भी बचाव एवं राहत कार्य के लिए पहुंच गई। शुक्रवार को प्रदेश के 4 जिले- भोपाल, नर्मदापुरम, सीधी और उमरिया में हल्की बूंदाबांदी हुई। दूसरी ओर, रीवा में दिन का तापमान 33 डिग्री और ग्वालियर, खजुराहो-नरसिंहपुर में 32 डिग्री के पार पहुंच गया। अगले 2 दिन तक प्रदेश में तेज धूप-छांव और गरज-चमक वाला मौसम रहेगा। एमपी के 200 डैम भरे, तालाब भी छलके प्रदेश के 282 में से 200 से ज्यादा डैम भर गए हैं। बाकी डैमों में भी तेजी से पानी भर रहा है। शुक्रवार को भी डैमों में पानी की आवक जारी रही। इस बार अब तक इंदिरा सागर, ओंकारेश्वर, मड़ीखेड़ा, केरवा, कलियासोत, कोलार, भदभदा, तवा, बरगी, मोहनपुरा, हलाली, मड़ीखेड़ा, अटल सागर, तिघरा, बानसुजारा, जोहिला समेत कई डैम के गेट खुल चुके हैं। ये सभी डैम ओवरफ्लो हो चुके हैं। मंडला में 55 इंच से ज्यादा पानी गिरा प्रदेश में सामान्य बारिश से ज्यादा पानी गिर चुका है। शुक्रवार तक की स्थिति में औसत 37.3 इंच के मुकाबले 40.4 इंच बारिश हो चुकी है। सबसे ज्यादा बारिश मंडला जिले में 55.61 इंच हुई है। दूसरे नंबर पर सिवनी जिला है। यहां अब तक 53.39 इंच पानी गिर चुका है। श्योपुर में 51 इंच से ज्यादा बारिश हो चुकी है, जबकि भोपाल इस आंकड़े के करीब है। सागर, निवाड़ी, राजगढ़, छिंदवाड़ा, नर्मदापुरम और डिंडौरी में भी आंकड़ा 47 इंच के पार पहुंच गया है।