जैव विविधता अधिनियम क्या है? भारत सरकार द्वारा जैव विविधता अधिनियम अधिनियम को वर्ष 2002 में अधिनियमित किया गया था, इसका उद्देश्य जैविक संसाधनों का संरक्षण, इनके धारणीय उपयोग का प्रबंधन और स्थानीय समुदायों के साथ उचित व न्यायसंगत साझाकरण तथा भारत की समृद्ध जैव विविधता को संरक्षित रखकर वर्तमान और भावी पीढ़ियों के कल्याण के लिये इसके लाभ के वितरण की प्रक्रिया को सुनिश्चित करना है। भारत में जैव विविधता अधिनियम (2002) को लागू करने के लिये केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2003 में राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण (NBA) की स्थापना की गई थी। जैव विविधता प्रबंधन समिति क्या है? जैव विविधताअधिनियम की धारा 41 के अनुसार, प्रत्येक स्थानीय निकाय (जिला, जनपद, नगर निगम, नगर पालिका, नगर पंचायत तथा ग्राम पंचायत) अपने क्षेत्र के भीतर जैव विविधता प्रबंधन समितियाँ (Biodiversity Management Committees- BMC) का गठन करेगा जिसका उद्देश्य जैव विविधता के संरक्षण, धारणीय उपयोग एवं प्रलेखन को बढ़ावा देना है। यह समितियां अपने क्षेत्र अंतर्गत जीवो के नैसर्गिक आवासों का संरक्षण, स्थनीय जैव किस्मों का संरक्षण, लोक किस्में एवं कृषि उपजातियाँ, पालतू एवं वन्य जीवों की नस्लें, सूक्ष्मजीव एवं जैव विविधता से संबंधित जानकारी का संग्रहण कर स्थानीय जैव विविधता के संरक्षण का कार्य करेंगी। इस विषयो की जानकारी से बन रही है लोक जैवविविधता पंजी भोजराज सिंह पंवार-- लोक जैव विविधता पंजी में वानिकी जैवविविधता अंतर्गत जंगली वृक्षों, झाड़ियों, शाकीय पौधों, कंदिय पौधों, जंगलीघास, लताओ,औषधीय पौधों तथा जंगली जीवों का विवरण। कृषि जैवविविधता अंतर्गत रबी,खरीफ,जायद ऋतु की फसलें,चारें वाली फसले,फसलों के साथ उगने वाले खरपतवारों का विवरण,जैविक कृषि,फसलों के पीड़क प्रजातिया, उद्यानिकी फसले, सब्जी की फसले,फूलों की खेती तथा सजावटी पौधों की जानकारी एकत्रित की जा रही है। इसके साथ घरेलू पशु (मवेशी, भैंस, भेड़, बकरी),पालतू पक्षी,.पशुधन संबंधित बाजार, जलीय जैवविविधता अंतर्गत मत्स्य प्रजातियों तथा अन्य जलीय जीव, उगाये जाने वाले जलीय पौधों का विवरण, जैव विविधता से परम्परागत ज्ञान, जैवविविधता/जैव संसाधन से होने वाले लाभ का विवरण के संबंध में जानकारी एकत्रित की जा रही है।