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संपादक
भोजराज सिंह पंवार
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बुधनी टाइम्स

देवास जिले में बांस की खेती एवं उत्‍पाद के संबंध में कलेक्‍टर श्री गुप्‍ता की अध्‍यक्षता बैठक आयोजित

बुधनी टाइम समाचार पत्र शुजालपुर,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, कलेक्‍टर श्री गुप्‍ता ने कहा कि बांस की खेती के लिए जिले में ब्‍लॉक स्‍तर पर 10 सदस्‍यीय दल का गठन किया जाये। बांस के बनने वाले उत्‍पादों की ट्रेनिंग भी करवाये। दल किसानों को बांस की खेती से होने वाले अतिरिक्‍त लाभ की जानकारी अभियान चलाकर दे। किसानों को बांस की खेती के लिए प्रोत्‍साहित करें। स्‍व सहायता समूहो को भी शामिल करें। वन विभाग एवं उद्यानिकी विभाग बांस के पौधे किसानों को खेती के लिए उपलब्‍ध करायें। किसान अपने खेतों में कम से कम 200 पौधे बांस के लगाये। नाबार्ड किसानों को ऋण उपलब्‍ध कराने की योजना बनाये। बैठक में डॉ ऐके भट्याचार्य ने बांस की खेती एवं बांस से बने उत्‍पादों के संबंध में प्रजेंटेशन दिया। देवास के बांस के फर्नीचर देश विदेश में लोकप्रिय है। बांस के क्राफ्ट एवं ट्रडिशनल खिलोने एवं घर की सजावट का सामान बनाया जाता है। लिविंग रूम फर्नीचर, शयनकक्ष, फर्नीचर भोजन कक्ष फर्नीचर, बाथरूम फर्नीचर, रसोई उत्पाद, फ्लैश दरवाजे, पैनल दरवाजे, बांस का घर बन रहे है। बांस से जैव ईधन, इथेनाल, कपडे सौंदर्य प्रसाधन भी बनाये जा रहे है। डॉ भट्याचार्य ने बताया कि आपदा के समय अन्‍य फसल खराब हो जाने का डर रहता है, किन्‍तु बांस की फसल किसी भी मौसम में खराब नहीं होती है। बांस की फसल कम खर्चे में कर सकते है। बांस तीन मीटर की दूरी पर लगाये जिससे बांस की खेती के साथ आप अन्‍य फसल भी लगा सकते है। बांस की फसल से किसानों को लम्‍बी अवधि तक निरन्‍तर लाभ मिलता है। उन्‍होंने कहा कि खेतों और अन्‍य स्‍थानों पर सीमेंट के पोल से फेंसिंग के स्‍थान पर बांस को फेंसिंग कम खर्चे में कर सकते है। किसान भाई एक हेक्‍टेयर में 625 पौधे लगा सकते है, किसान भाई सरकारी नर्सरी से बांस के पौधे क्रय कर सकते है। बांस की फसल का रख रखाव भी कम होता है, बांस से पर्यावरण को भी कोई नुकसान नहीं है। इन किसानों को कम खर्चे और कम देख रेख में बांस की खेती करने के लिए प्रोत्‍साहित किया गया है। बांस की खेती किसानों के लिए लाभ दायक है। बांस काष्‍ट का एक बेहतर विकल्‍प है। बांस की व्‍यापक अंतराष्‍ट्रीय बाजार और लगातार मांग बढ रही है। बांस की खेती कई तरह के रोजगार सृजित करने में सहायक है। बांस की खेती में रोपण पर एक ही बार खर्च होता है। मौसम की मार से बेअसर इसलिए नुकसान की गुंजाइश ना के बराबर है। बांस की खेती में बीमारियों की भी गुंजाईश नहीं और न ही किसी विशेष उर्वरक की जरूरत है। किसी अन्‍य फसल की तुलना में अधिकतम आय मिलती है। पर्यावरण के लिए लाभकारी, हरियाली बढाने और तापमान संतुलित करने में सहायक है। बांस की खेती जल संरक्षण और मृदा संरक्षण के लिए विशेष लाभकारी है।

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