बुधनी टाइम्स समाचार पत्र भोजराज सिंह पवार - शुजालपुर 7697309866 शुजालपुर का ‘अंगूठा छाप पटवारी रिक्की छावडा’ फिर संदेहों के घेरे में, आदेश तहसीलदार शुजालपुर का और अमल नयाब तहसीलदार अकोदिया के नाम से अमल कर दिया — 4 महीने की मशक्कत के बाद भी बटवारा अधर में, — प्रशासनिक लापरवाही हो तो ऐसी! किसानों के हक और दस्तावेजों की गंभीरता जहां कानून के अधीन तय होती है, वहीं शुजालपुर के कुख्यात पटवारी रीक्की छावडा ने एक बार फिर ऐसा कारनामा कर दिया, जिसने न सिर्फ राजस्व विभाग की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं, बल्कि आवेदक को 4 महीने तक सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने पर मजबूर कर दिया। ➡️ आवेदन सही, प्रक्रिया पूरी… फिर भी गड़बड़ी! सूत्रों के अनुसार आवेदक ने नियमों के तहत बंटवारे के लिए: विधिवत आवेदन किया, 6 से 10 पेसी में हाजिरी दर्ज करवाई, स्टाम्प शुल्क भरा, समाचार पत्र में नोटिस प्रकाशित करवाया, प्रमाणित नकलें प्राप्त कीं और जमा भी कीं, यानी दस्तावेज़ी प्रक्रिया का हर कदम सही, समय पर और नियमों के अनुसार पूरा हुआ। लेकिन इसके बाद जो हुआ वह चौकाने वाला था। ➡️ आदेश तहसीलदार शुजालपुर ने दिया और अमल नयाब तहसीलदार अकोदिया के नाम से किया! फाइल देखकर यही लगेगा कि यह कोई प्रशासनिक भूल नहीं, बल्कि सीधा-सीधा लापरवाह रवैया या खेल है। अब सवाल यह है कि ऐसा कैसे और क्यों? ➡️ सबसे गंभीर मामला — खसरे में गलत विमान दर्ज! बटवारे की प्रक्रिया के इतने चरण पूरे होने के बावजूद पटवारी रीक्की छावड़ा द्वारा आवेदक के खसरे में गलत विवरण (विमान/बीमान) दर्ज कर दिया गया, जिससे पूरा बटवारा विवादित स्थिति में पहुँच गया। ???? आवेदक पक्ष का आरोप — > “इतने महीने दफ्तरों के चक्कर लगा लिए, पैसे खर्च कर दिए… सबकुछ जमा कर दिया, फिर भी पटवारी की गलती हमारी फाइल में जहर बन गई।” ? प्रतिक्रिया — > “कागज़ी सिस्टम में सुधार की बात होती है, लेकिन ज़मीनी स्तर पर पटवारी चाहे तो किसी का हक मिनटों में मिट्टी में मिला सकता है।” --- ???? अब सवाल प्रशासन के लिए: ✔ क्या इस तरह की लापरवाही सिर्फ गलती है या सिस्टम के भीतर चल रहा 'साइलेंट खेल'? ✔ क्या तहसीलदार इस मामले में जांच बैठाएंगे? ✔ क्या गलती सुधारकर आवेदक को न्याय मिलेगा या उसे फिर महीनों इंतजार करना पड़ेगा?