शुजालपुर (प्रवीण जोशी)। आमजनों की मूलभूत आवश्यकताओं में स्वास्थ्य सबसे आवश्यक है, जिसके लिए इंसान कुछ भी करने को तैयार रहता है। परिवार मे कोई भी सदस्य बीमार हो और उसे इलाज की आवश्यकता हो तो उस व्यक्ति के पास पैसा न हो तो वो भी अपनो के इलाज के लिए कर्ज लेकर भी उपचार कराएगा। ऐसा ही हाल सिविल अस्पताल का है। सिविल अस्पताल शुजालपुर में विगत कई सालों से सोनोग्राफी नहीं होने से नगर सहित अंचल की गर्भावस्था में लाडली बहने कई परेशानियों के दौर से गुजर रही है। इस समस्या को पूर्व में भी सामाजिक कार्यकर्ताओं ने प्रमुखता से उठाते हुए हुए जिलाधीश व एसडीएम को अवगत कराया था। समाचार पत्र के माध्यम से भी समस्या को प्रमुखता से प्रकाशित किया गया था। एक ओर ज्ञात हो कि सिविल हॉस्पिटल में लगभग 10 से 12 प्रसव प्रतिदिन होते है। मिलने वाली सुविधाओं के अभाव में प्रसूता महिलाएं व उनके परिजनों को आर्थिक एवं मानसिक प्रताड़ना झेलना पड़ती है। ऐसे में शासन की योजनाओं का लाभ मिलने में भी मुश्किलो का सामना करना पड़ता है। प्रसव के दौरान होने वाली परेशानियों से बचने के लिए महिलाओं को मजबूरन निजी अस्पतालो की ओर देखना पड़ता है या फिर शहर से बाहर प्रसूता महिलाओं एवं नवजात शिशुओं को ले जाने के लिए विवश होना पड़ रहा है। वहीं एक और जहां केंद्र और राज्य सरकार बहन बेटियों व प्रसुताओं के लिए विभिन्न योजनाओं का संचालन कर रही है जैसे प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना मुख्यमंत्री प्रसूति सहायता योजना आदि योजनाओं का लाभ दे रही है। लेकिन सिविल अस्पताल में सोनोग्राफी को लेकर प्रसूताएं दर-दर भटकने को मजबूर है। इस समस्या के स्थाई निदान हेतु एक नवीन सोनोग्राफी मशीन एवं अल्ट्रासाउंड तकनीशियन या डायग्नोस्टिक मेडिकल सोनोग्राफर की नितांत आवश्यकता है जिससे कि समय समय पर सोनोग्राफी सेवा का लाभ गर्भवती महिलाओं को मिल सके। साथ ही आर्थोपेडिक सर्जन एवं ओटोलरींगोलॉजिस्ट या ईएनटी विशेषज्ञ की भी आवश्यकता है। अगर आवश्यक पद ये सिविल अस्पताल में भरे जाएं तो आए दिन होने वाली दुर्घटना में चोटिल, व्यक्ति सहित नाक कान और गले के रोग से ग्रसित रोगियों को भी शासकीय सिविल अस्पताल में इलाज मिल सकेगा।इससे आम जन को राहत मिल सकेगी। नगर में जनचर्चा है कि सिटी व आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों के लिए युवराज क्लब सिटी में सामान्य ओपीडी चालू कर दी जाए तो मरीजों व उनके परिजनों को मंडी नहीं जाना पड़ेगा एवं पैसे के साथ समय भी बचेगा, साथ ही मंडी अस्पताल का बोझ भी हल्का होगा। मण्डी अस्पताल में भीड़ होने से जो असुविधा होती है, उससे राहत मिल सकेगी एवं पर्चे व जाँच में लगने वाली लंबी कतारो से छुटकारा मिल जाएगा। विशेषज्ञ चिकित्सक होने के बाद भी उपचार कराने जाना पड़ता है निजी अस्पताल जन चर्चा में सुनने में आया है पर्चे बनाने के लिए भी सिर्फ एक ही ऑपरेटर है, जिससे पर्चा बनने में देरी होती है और देरी से पर्चे बनने के कारण डॉक्टर उठ जाते हैं और मरीजों को बिना डॉक्टर को दिखाए ही वापस लौटना पड़ता है। देखने को तो पर्चे बनाने के लिए दो कंप्यूटर मौजूद है। पर कंप्यूटर ऑपरेटर एक ही है, जो महिला और पुरुषों की दो अलग-अलग लगने वाली लाइनों के एक-एक करके पर्चे बनाता है, जिसकी वजह से लाइन में लगने वाले मरीजों को पर्चा बनवाने के लिए काफी देर तक इंतज़ार करना पड़ता है। दूसरा ये कि वर्तमान में उपलब्ध चिकित्सक एवं अन्य चिकित्सीय कर्मचारी सीमित संसाधनों एवं काफी कम जगह पर कार्य कर रहे हैं, अगर उन डॉक्टरों को भी आवश्यक उपकरण एवं संसाधन उपलब्ध करा दिए जाएं तो उन मरीजों को जिनको संसाधनों एवं उपकरणों की कमी की वजह से सिविल अस्पताल में इलाज नहीं मिल पाता, उनको भी सिविल अस्पताल में ही उपचार मिल पायेगा और उनको इलाज के लिए निजी अस्पतालों में जाना नहीं पड़ेगा, जबकि इन्हीं वजहों से उनकी जेब पर आर्थिक बोझ पड़ता है और उन्हें निजी अस्पतालों में उपचार के लिए जाना पड़ता है। अगर ये सब संसाधन व उपकरण उपलब्ध करा दिए जाएं तो ये उपचार सिविल अस्पताल में आसानी से हो सकेगा। एक ओर अव्यवस्था की हद तो तब हो गयी जब हमारे संवाददाता सिविल अस्पताल पहुंचे तो उन्होंने देखा कि इन सब असुविधाओं के अलावा महिला शौचालय के दरवाजे भी टूटे पाए गए जो कि ये तो बड़ी चिंता का विषय है, प्रशासन को इसे गंभीरता से लेना चाहिए। ज्ञात हो कि अस्पताल प्रशासन द्वारा गंभीर प्रसुता महिलाओं के लिए दो दिन तय है कि अगर कोई प्रसुता महिला गंभीर है तो उसकी सोनोग्राफी प्रत्येक माह की 9 और 25 तारीख को अस्पताल प्रशासन द्वारा निःशुल्क कराई जाती है। अब सवाल ये उठता है कि क्या कोई भी गंभीर प्रसूता महिला इन तारीखों 9 और 25 के अलावा कोई और दिन गंभीर स्थिति में हो तो वो क्या करे ? क्या वो इन तारीखों का इंतजार करेगी ? क्या कोई भी महिला इन तरीखों के अलावा गंभीर स्थिति में नहीं हो सकती ? इसका मतलब ये है कि उसको निजी अस्पताल में ही सोनोग्राफी कराना पड़ेगी और आर्थिक रूप से बेहद कमजोर महिला को भी निजी संस्थानों में लगभग दो हज़ार रुपये खर्च करना पड़ेंगे। ऐसी कई महिलाओं को अस्पताल मे "सोनोग्राफी मशीन" के खराब होने एवं सोनोग्राफी मशीन संचालनकर्ता के अभाव में अस्पताल के बाहर सोनोग्राफी कराना पड़ती है। इसका निराकरण करना अत्यंत आवश्यक है। नवीन मशीन शीघ्र ही उपलब्ध कराई जाए साथ ही सोनोग्राफी संचालन कर्ता अस्पताल में पदस्थ हो जो प्रत्येक दिन अस्पताल में ही सोनोग्राफी करे या फिर किसी निजी सोनोग्राफी स्थल पर अस्पताल प्रशासन की ओर से प्रत्येक दिन सोनोग्राफी निःशुल्क हो। प्रशासन को इस ओर भी ध्यान देने की ज़रूरत है। इनका कहना अस्पताल प्रभारी श्रीमती शारदा रामसरिया का कहना है कि इंजीनियरों ने सोनोग्राफी मशीन को राइट ऑफ एवं नान रिपेयर बल बताया है। शौचालय दरवाजा टूटा है तो शीघ्र ही मरम्मत करा देंगे,