कालापीपल क्षेत्र के किसान अभी तक बढ़े हुए तापमान से परेशान थे। उन्हें अपनी फसलों की चिंता सताने लगी थी। साथ ही सिंचाई भी अधिक करना पड़ रही थी, लेकिन बीते एक सप्ताह से ठंड बढ़ने के बाद किसानों को कुछ राहत दिख रही है। साथ ही रात में ओस गिरने लगी, जिस कारण सिंचित तथा असिंचित फसलों को फायदा हो रहा है। किसानों का कहना है कि अगर ओस लगातार गिरती रही तो गेहूं, चना, सरसों व अन्य फसल को लाभ मिलेगा। किसानों ने बताया कि ओस सीधे पौधों पर गिरती है और तने से खिसककर पौधों की जड़ों तक चली जाती है। ओस की नमी से फसल का रूप बदल रहा है। अगर लगातार ओस का सहारा फसलों को मिला तो निश्चित ग्रोथ बढ़ेगी, उत्पादन भी ठीक होगा। इधर कम पानी की स्थिति के कारण भी कई जगह फसल को पानी की आवश्यकता है। यदि इसी तरह ओस की बूंदी गिरती रहे तो किसानों को फायदा होने की उम्मीद है। कृषि वैज्ञानिकों ने बताया िक जो किसान 20 से 25 दिन पहले गेहूं की बोवनी कर चुके हैं, वह सिंचित फसल पर यूरिया डालें। असिंचित फसल पर यूरिया का घोल बनाकर छिड़काव कर सकते हैं। इसी तरह चने की फसल की बोवनी के 25 दिन बाद डीएपी का उपयोग करें, इससे फसलों को फायदा होगा।