तीरंदाजी, भारत के जनजातीय समाज की आदिकाल से परंपरागत विधा रही है। जनजातीय नायकों ने तीर-कमान से अपने शौर्य और पराक्रम का लोहा मनवाया है। तीरंदाजी, भारत की सांस्कृतिक पहचान है। भारतीय ज्ञान परम्परा का अभिन्न अंग है। यह बात उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा एवं आयुष मंत्री इन्दर सिंह परमार ने गुरुवार शाम को शुजालपुर शहर स्थित स्वातंत्र्य वीर सावरकर उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में आयोजित राज्य स्तरीय शालेय तीरंदाजी प्रतियोगिता के पदक वितरण समारोह के अवसर पर कही। परमार ने प्रदेश भर से आए प्रतिभागी विद्यार्थियों को बधाई एवं शुभकामनाएं दीं। परमार ने राज्य स्तरीय शालेय तीरंदाजी प्रतियोगिता में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थियों को सम्मानित कर उन्हें शुभकामनाएं भी प्रेषित की। उच्च शिक्षा मंत्री परमार ने कहा कि हार और जीत, दोनों ही खेल का हिस्सा हैं। खिलाड़ी प्रतिभागी खेल में हार से निराश न होकर और बेहतर तैयारियों के साथ आगामी सत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने की ओर आगे बढ़ें। तीरंदाजी, भारतीय परंपरागत खेलों में से एक है। इसमें प्रतिभागिता के रहे विद्यार्थी सौभाग्यशाली और बधाई के पात्र है। जिन्होंने भारतीय खेल को चुनकर इसमें आगे बढ़ने का संकल्प किया है। इस अवसर पर विद्यालय प्राचार्या तृप्ती पाठक, सभी संभागों से आये जनरल मैनेजर, सेवानिवृत खेल शिक्षक धरम सिंह वर्मा, शुजालपुर तीरंदाजी शिक्षक लोकेन्द्र सिंह तोमर, आनंदी परमार, अरुण शर्मा सहित अन्य गणमान्य उपस्थित रहे।