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संपादक
भोजराज सिंह पंवार
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शुजालपुर मंडी के बिजली दफ्तर में किसानों का धरना:दो ट्रांसफॉर्मर बदलने और डिविजनल इंजीनियर को हटाने की कर रहे मांग

गांव के दो ट्रांसफाॅर्मर बदलवाने और डिविजनल इंजीनियर की अभद्रता से नाराज चापड़िया गांव के सैकड़ों किसान मंगलवार रात 8 बजे शुजालपुर मंडी स्थित बिजली दफ्तर के बाहर धरने पर बैठ गए। जानकारी मिलने पर भारतीय किसान संघ के पदाधिकारी भी आ गए। किसानों ने ठंड से बचने के लिए अलाव जलाया और नारेबाजी शुरू कर दी। इस बीच मामला और गरम हो गया, जब डिविजनल इंजीनियर किसानों की बिछात पर जूते पहनकर निकल गए। दरअसल, चापड़िया गांव में तालाब के पाल पर लगे दो ट्रांसफॉर्मर खराब हो गए। इस पर किसान नटवर मेवाड़ा, राजेंद्र मेवाड़ा, सुजान मेवाड़ा, भारत मेवाड़ा, मुकेश और अन्य ने दोनों ट्रांसफॉर्मर खोले और उन्हें बदलवाने के लिए बिजली कंपनी के दफ्तर लेकर पहुंच गए, लेकिन वहां उन्हें बताया गया कि इस गांव में बिजली बिल का 5 लाख 48 हजार 30 रुपए बकाया है। इस पर किसानों ने बताया कि वे 10 फीसदी राशि यानी 58 हजार रुपए लाइनमैन के हेल्पर माखन को पहले ही दे चुके हैं। मामले में बिजली कंपनी के डिविजनल इंजीनियर बीएल गुजराती ने कहा कि 28 हजार 671 रुपए ही ऑनलाइन जमा दिख रहे हैं। जब तक दस प्रतिशत राशि जमा नहीं होगी, तब तक नया ट्रांसफॉर्मर नहीं देंगे, आप लोगों से जो बन पड़े कर लो। यह सुनते ही किसान भड़क गए। सभी किसानों ने डिविजनल इंजीनियर को हटाने के लिए धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया। डीई गुजराती बोले: झूठ बोल रहे किसान डिविजनल इंजीनियर गुजराती ने कहा कि गांव के आबादी वाले 63 केवी क्षमता के ट्रांसफॉर्मर पर 45 उपभोक्ता हैं। इस पर बकाया राशि 2 लाख 70 हजार है, जिसमें से 5 बकायदारों ने आंशिक 10 हजार 920 रुपए जमा किए हैं। ट्रांसफॉर्मर के लिए इनसे दस फीसदी के मान से 27 हजार जमा होने पर ही ट्रांसफॉर्मर दे सकते हैं। इसी तरह तालाब के पाल पर लगे ट्रांसफॉर्मर की क्षमता 100 केवी है। इस पर 71 उपभोक्ता हैं और 5 लाख 48 हजार 30 रुपए बकाया है। 26 लोगों ने 28 हजार 671 रुपए जमा किए हैं। किसानों ने इसके अतिरिक्त कोई राशि जमा नहीं की है। वे झूठ बोल रहे हैं। अकोदिया इलाके के अधिकारियों ने भी इतनी ही राशि जमा होने की जानकारी दी है। दस प्रतिशत राशि जमा नहीं कर ये लोग अनर्गल दबाव बनाना चाहते हैं।

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