सरकारी विभागों में कार्यरत कर्मचारी पिछले कई सालों से कैशलेस स्वास्थ्य बीमा योजना की मांग कर रहे हैं, इसके साथ ही पिछले पांच सालों से आयुष्मान स्वास्थ्य योजना में शामिल करने के लिए भी निरंतर मांग रह रहे हैं। इससे पहले कर्मचारियों को स्वास्थ्य बीमा का लाभ कर्मचारियों को देने के लिए घोषणा भी हो चुकी है, इसके बाद भी कर्मचारियों को इसका लाभ नहीं मिल रहा है, इसके कारण कर्मचारी और पेंशनर्स को लाभ नहीं मिल रहा है। जिससे स्वास्थ्य पर खर्च बढ़ रहा है।कमेटी गठित, लाभ अब तक नहीं प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों को 5 से 10 लाख रुपए तक इलाज देने की घोषणा की गई थी। कर्मचारियों का कहना है कि इसके लिए पिछले साल 9 फरवरी 2024 को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक 9 सदस्यीय कमेटी भी गठित की गई थी, लेकिन 18 माह का समय बीतने के बाद भी स्वास्थ्य बीमा का लाभ देने संबंधी आदेश अब तक जारी नहीं हुए हैं। इसे लेकर कर्मचारियों में निराशा का माहौल है।कर्मचारी संगठन लगातार कर रहे मांग कैशलेस स्वास्थ्य बीमा को लेकर कर्मचारी संगठन लगातार मांग कर रहे हैं। मप्र तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के महामंत्री उमाशंकर तिवारी ने बताया कि 2019 से तीन बाद स्वास्थ्य बीमा की घोषणा हो चुकी है, लेकिन इसका लाभ अब तक नहीं मिल पाया है। पिछले साल भी सभी अधिकारी, कर्मचारियों को अन्य प्रदेशों में लागू आयुष्मान स्वास्थ्य बीमा की तरह 5 से 10 लाख तक इलाज की सुविधा देने की घोषणा की थी, लेकिन अब तक कर्मचारी आदेश का इंतजार कर रहे हैं। इसे लेकर हम लगातार मांग कर रहे है। मप्र शासकीय वाहन चालक यांत्रिकी कर्मचारी संघ के साबिर खान का कहना है कि सरकारी कर्मचारियों को बीमा का कोई लाभ नहीं दिया जा रहा है। घोषणा होने के बाद भी हम कई बार अधिकारियों से मिल चुके हैं,कैशलेस बीमा की मांग क्यों कर्मचारी लगातार केशलैस बीमा की मांग कर रहे हैं, ताकि बीमारी से पीड़ित होने पर तत्काल राहत मिल सके। वर्तमान में चिकित्सा के नाम पर नियमित कर्मचारियों को जो चिकित्सा सुविधा दी जाती है, उसमें काफी लंबी प्रक्रिया अपनानी पड़ती है। बीमार होने पर बिल आदि लगाने पड़ते हैं, विभाग, चिकित्सा विभाग सहित अन्य स्थानों से अनुशंसा करवानी पड़ती है। इसके बाद बिल के आधार पर वह पैसा वापस होता है। इसे पाने के लिए कर्मचारियों को कई जगह चक्कर काटने पड़ते हैं और पहले अपनी जेब से पैसे खर्च करने पड़ते हैं। ऐसे में गंभीर बीमारी होने पर कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ऐसी कई बार इस तरह की स्थिति बनती है कि तत्काल में रुपए न होने पर इलाज के लिए इधर-उधर भटकना पड़ता है।