नवरात्रि में इन नियमों का रखें विशेष ध्यान? वरना खंडित हो सकता है नौ दिनों का व्रत सार शारदीय नवरात्रि 22 सितंबर 2025 से प्रारंभ हो रहा है। नौ दिनों तक चलने वाले इस व्रत के कुछ नियम हैं। आइए इस लेख में जानते हैं व्रत के दौरान किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, ताकि आपकी साधना खंडित न हो और पूजा सफल हो।शक्ति की आराधना का महापर्व शारदीय नवरात्रि इस वर्ष 22 सितंबर 2025, सोमवार से प्रारंभ हो रहा है। नौ दिनों तक चलने वाले इस उत्सव में मां दुर्गा के नौ दिव्य स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। भक्तगण इन नौ दिनों में व्रत रखकर मां दुर्गा की पूजा अर्चना करते हैं और उनकी कृपा पाने का प्रयास करते हैं। बहुत से श्रद्धालू नवरात्रि के पहले और आखिरी दिनों का व्रत रखते हैं, लेकिन इस लेख में आइए उन नियमों की बात करते हैं जो नौ दिनों के व्रत के दौरान पालन करनी चाहिए। नवरात्रि का व्रत केवल अन्न-जल का त्याग नहीं, बल्कि आत्मिक शुद्धि और अनुशासन का भी प्रतीक है। व्रत रखने वाले साधकों को इन नौ दिनों में अपने मन, वचन और कर्म से पूरी तरह सात्विक रहना चाहिए। ज्योतिष और धर्म शास्त्रों के अनुसार, नवरात्रि के व्रत का पूर्ण फल तभी प्राप्त होता है, जब इसका पालन पूरे विधि-विधान और कठोर नियमों के साथ किया जाए। नियमों में हुई एक छोटी सी चूक भी आपके नौ दिनों के व्रत को खंडित कर सकती है नवरात्रि में इन नियमों का रखें विशेष ध्यान? वरना खंडित हो सकता है नौ दिनों का व्रत शक्ति की आराधना का महापर्व शारदीय नवरात्रि इस वर्ष 22 सितंबर 2025, सोमवार से प्रारंभ हो रहा है। नौ दिनों तक चलने वाले इस उत्सव में मां दुर्गा के नौ दिव्य स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। भक्तगण इन नौ दिनों में व्रत रखकर मां दुर्गा की पूजा अर्चना करते हैं और उनकी कृपा पाने का प्रयास करते हैं। बहुत से श्रद्धालू नवरात्रि के पहले और आखिरी दिनों का व्रत रखते हैं, लेकिन इस लेख में आइए उन नियमों की बात करते हैं जो नौ दिनों के व्रत के दौरान पालन करनी चाहिए। नवरात्रि का व्रत केवल अन्न-जल का त्याग नहीं, बल्कि आत्मिक शुद्धि और अनुशासन का भी प्रतीक है। व्रत रखने वाले साधकों को इन नौ दिनों में अपने मन, वचन और कर्म से पूरी तरह सात्विक रहना चाहिए। ज्योतिष और धर्म शास्त्रों के अनुसार, नवरात्रि के व्रत का पूर्ण फल तभी प्राप्त होता है, जब इसका पालन पूरे विधि-विधान और कठोर नियमों के साथ किया जाए। नियमों में हुई एक छोटी सी चूक भी आपके नौ दिनों के व्रत को खंडित कर सकती है। व्रत का संकल्प व्रत का संकल्प लेने के बाद इसे बीच में तोड़ना अशुभ माना जाता है। इस दौरान घर में कलह, क्रोध, और किसी के प्रति द्वेष की भावना मन में नहीं लानी चाहिए। असत्य बोलना और किसी की निंदा करना भी व्रत के पुण्य को कम करता है। साधक को जमीन पर सोना चाहिए और ब्रह्मचर्य का पूर्ण रूप से पालन करना चाहिए।