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भोजराज सिंह पंवार
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बुधनी टाइम्स

शरीर को संत व प्रभु शरण में लगाओगे तो बिगड़ी बन जाएगी

जहां भागवत होती है वहां छोटा भारत खड़ा हो जाता है, भारत कहने, भारत माता की जय करने यहां भारत दर्शन करने में अच्छा लगता है। भारत ही ऐसा देश है जहां सबसे पहले भास्कर (सूर्य) दर्शन के साथ की किरण धरती पर पड़ती है, भारत भूमि पर ही भगवान भोलेनाथ की जटा से भागीरथी गंगा निकली है। हम भाग्यशाली हैं आज भारत के सेमलीधाम में भागवत ज्ञान गंगा श्रवण कर रहे है, जो जीवन में जरूर उतरेंगी। यह विचार मालवा के राष्ट्री शरीर को संत व प्रभु शरण में लगाओगे तो बिगड़ी बन जाएगी कालीसिंध। जहां भागवत होती है वहां छोटा भारत खड़ा हो जाता है, भारत कहने, भारत माता की जय करने यहां भारत दर्शन करने में अच्छा लगता है। भारत ही ऐसा देश है जहां सबसे पहले भास्कर (सूर्य) दर्शन के साथ की किरण धरती पर पड़ती है, शरीर को संत व प्रभु शरण में लगाओगे तो बिगड़ी बन जाएगी कालीसिंध। जहां भागवत होती है वहां छोटा भारत खड़ा हो जाता है, भारत कहने, भारत माता की जय करने यहां भारत दर्शन करने में अच्छा लगता है। भारत ही ऐसा देश है जहां सबसे पहले भास्कर (सूर्य) दर्शन के साथ की किरण धरती पर पड़ती है, भारत भूमि पर ही भगवान भोलेनाथ की जटा से भागीरथी गंगा निकली है। हम भाग्यशाली हैं आज भारत के सेमलीधाम में भागवत ज्ञान गंगा श्रवण कर रहे है, जो जीवन में जरूर उतरेंगी। यह विचार मालवा के राष्ट्रीय संत, पं. कमलकिशोर नागर ने सेमली के श्री हाटकेश्वर महादेव के दरबार एवं गौमाता मंदिर प्रांगण में प्रथम दिवस की श्रीमद भागवत ज्ञान गंगा में व्यक्त किए। Ads by Jagran.TV उन्होंने श्रोताओं कहा कि हमारा शरीर भगवत प्राप्ति के लिए मिला है, इसे संत और प्रभु शरण में लगाओगे तो बिगड़ी बन जाएगी, जो ब्रम्ह पर आश्रित है सब मिलता है, भगवान की कथा श्रवण करने वाला भाग्यवान है। पं.श्री नागर ने उदाहरण देकर समझाया कि आपका मकान ,प्लॉट सड़क,चौराहे पर हो तो उसकी करोडों की कीमत होती है लेकिन आप स्वयं सड़क पर हो तो आपकी कीमत दो कौड़ी रहती है ऐसे ही प्रभु शरण में बैठने, भक्तिभाव के साथ पूजा-उपासना करने से ही व्यक्ति की कीमत बढ़ती है व जीवन सार्थक होता है। उन्होंने कहा कि शास्त्र का अपमान गुरु का अपमान है। हर किसी की सुनते है शास्त्र को नहीं मानते जो गलत है, शादी, नाच में रुपये लुटाते है और पुण्य, धर्म कार्य में खुल्ले पैसे चढ़ाते जो गलत है। जब अवसर मिले तब नित्य प्रभु सुमिरन करना चाहिए। सोमवार, मंगलवार , बुधवार , गुरुवार आदि सात दिन नष्ट होने के तो यही सात दिन अपना तन-मन-धन कथा में , भागवत सुनने लगाओगे व ब्रम्ह अर्पण करोगे तो तर जाओगे। य संत, पं. कमलकिशोर नागर ने सेमली के श्री हाटकेश्वर महादेव के दरबार एवं गौमाता मंदिर प्रांगण में प्रथम दिवस की श्रीमद भागवत ज्ञान गंगा में व्यक्त किए।

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